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शिव अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्

शिव अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्

शिवो महेश्वर-श्शंभुः पिनाकी शशिशेखरःवामदेवो विरूपाक्षः कपर्दी नीललोहितः ॥ 1 ॥ शंकर-श्शूलपाणिश्च खट्वांगी विष्णुवल्लभःशिपिविष्टोऽंबिकानाथः श्रीकंठो भक्तवत्सलः ॥ 2 ॥ भव-श्शर्व-स्त्रिलोकेशः शितिकंठः
उमा महेश्वर स्तोत्रम्

उमा महेश्वर स्तोत्रम्

नमः शिवाभ्यां नवयौवनाभ्यांपरस्पराश्लिष्टवपुर्धराभ्याम् ।नगेंद्रकन्यावृषकेतनाभ्यांनमो नमः शंकरपार्वतीभ्याम् ॥ 1 ॥ नमः शिवाभ्यां सरसोत्सवाभ्यांनमस्कृताभीष्टवरप्रदाभ्याम् ।नारायणेनार्चितपादुकाभ्यांनमो नमः शंकरपार्वतीभ्याम् ॥ 2 ॥ नमः शिवाभ्यां
शिव सहस्र नाम स्तोत्रम्

शिव सहस्र नाम स्तोत्रम्

पूर्वपीठिका ॥ वासुदेव उवाच ।ततः स प्रयतो भूत्वा मम तात युधिष्ठिर ।प्रांजलिः प्राह विप्रर्षिर्नामसंग्रहमादितः ॥ 1 ॥ उपमन्युरुवाच ।ब्रह्मप्रोक्तैरृषिप्रोक्तैर्वेदवेदांगसंभवैः ।सर्वलोकेषु
शिव मानस पूज

शिव मानस पूज

रत्नैः कल्पितमासनं हिमजलैः स्नानं च दिव्यांबरंनानारत्न विभूषितं मृगमदा मोदांकितं चंदनम् ।जाती चंपक बिल्वपत्र रचितं पुष्पं च धूपं तथादीपं देव दयानिधे
तोटकाष्टकम्

तोटकाष्टकम्

विदिताखिल शास्त्र सुधा जलधेमहितोपनिषत्-कथितार्थ निधे ।हृदये कलये विमलं चरणंभव शंकर देशिक मे शरणम् ॥ 1 ॥ करुणा वरुणालय पालय मांभवसागर
कालभैरवाष्टकम्

कालभैरवाष्टकम्

देवराज-सेव्यमान-पावनांघ्रि-पंकजंव्यालयज्ञ-सूत्रमिंदु-शेखरं कृपाकरम् ।नारदादि-योगिबृंद-वंदितं दिगंबरंकाशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥ 1 ॥ भानुकोटि-भास्वरं भवब्धितारकं परंनीलकंठ-मीप्सितार्ध-दायकं त्रिलोचनम् ।कालकाल-मंबुजाक्ष-मक्षशूल-मक्षरंकाशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥ 2 ॥ शूलटंक-पाशदंड-पाणिमादि-कारणंश्यामकाय-मादिदेव-मक्षरं
शिव अष्टोत्तर शत नामावलि

शिव अष्टोत्तर शत नामावलि

ॐ शिवाय नमःॐ महेश्वराय नमःॐ शंभवे नमःॐ पिनाकिने नमःॐ शशिशेखराय नमःॐ वामदेवाय नमःॐ विरूपाक्षाय नमःॐ कपर्दिने नमःॐ नीललोहिताय नमःॐ शंकराय
रुद्राष्टकम्

रुद्राष्टकम्

नमामीशमीशान निर्वाणरूपंविभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम् ।निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहंचिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम् ॥ 1 ॥ निराकारमोंकारमूलं तुरीयंगिराज्ञानगोतीतमीशं गिरीशम् ।करालं महाकालकालं कृपालुंगुणागारसंसारपारं नतोऽहम् ॥
दक्षिणा मूर्ति स्तोत्रम्

दक्षिणा मूर्ति स्तोत्रम्

शांतिपाठःॐ यो ब्रह्माणं विदधाति पूर्वंयो वै वेदांश्च प्रहिणोति तस्मै ।तं ह देवमात्मबुद्धिप्रकाशंमुमुक्षुर्वै शरणमहं प्रपद्ये ॥ ध्यानम्ॐ मौनव्याख्या प्रकटित परब्रह्मतत्त्वं युवानंवर्षिष्ठांते
शिवानंद लहरि

शिवानंद लहरि

कलाभ्यां चूडालंकृत-शशिकलाभ्यां निजतपः--फलाभ्यां भक्तेषु प्रकटित-फलाभ्यां भवतु मे ।शिवाभ्या-मस्तोक-त्रिभुवन-शिवाभ्यां हृदि पुन--र्भवाभ्या-मानंद-स्फुरदनुभवाभ्यां नतिरियम् ॥ 1 ॥ गलंती शंभो त्वच्चरित-सरितः किल्बिषरजोदलंती धीकुल्या-सरणिषु पतंती
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