
महागणपतिं मनसा स्मरामि
मह गणपतिम् रागम्: नाट्टै 36 चलनाट्टै जन्य आरोहण: स रि3 ग3 म1 प द3 नि3 स’ अवरोहण: स’ नि3 प म1 रि3 स तालम्: आदि रूपकर्त: मुत्तुस्वामि दीक्षितर् भाषा: संस्कृतम् पल्लवि महा गणपतिं मनसा स्मरामि । महा गणपतिम् वसिष्ठ वाम देवादि वंदित ॥ (महा) अनुपल्लवि महा देव सुतं गुरुगुह नुतम् । मार कोटि प्रकाशं शांतम् ॥ महाकाव्य नाटकादि प्रियम् मूषिकवाहन […]